DHANAURI P.G. COLLEGE
धनौरी पी0जी0 काॅलेज
विश्व प्रसिद्ध धार्मिक नगरी हरिद्वार में मात्र 8 किमी० दूर हरिद्वार-सहारनपुर मार्ग पर गंगा नहर की प्रवाहित हो रही अविरल धारा के किनारे प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच धनौरी ग्राम में अक्षांश-29.85 देशान्तर 77 88 पर स्थापित यह महाविद्यालय हरिद्वार जिले के पुराने महाविद्यालयों में से एक है और विगत । 7 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहा है | हरिद्वार की शिक्षा नगरी कही जाने वाली रुड़की से मात्र 10 मिनट से सड़क मार्ग द्वारा महाविद्यालय तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।
इस ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा का विकास व प्रचार-प्रसार करने, क्षेत्र के छात्र-छात्राओं में सामाजिक , सांस्कृतिक व राजनीतिक चेतना पैदा कर उनका चारित्रिक निर्माण करने के उद्देश्य से 70 वर्ष पहले सैनी विद्यार्थी संघ ने वर्ष 1995 में जो संकल्प लिया था उसी को साकार करने के उद्देश्य से क्षेत्र के प्रबुद्ध व्यक्तियों और समाजसेवियों बाबू श्री तेलूराम सैनी जी (एम०एल०सी०) डॉ० पृथ्वी सिंह विकसित जी (पूर्व मंत्री), वैद्य श्री बलवीर सिंह जी, प्रधान श्री अमीर सिंह जी , बाबू मंगतराम जी , श्री चन्द्रकांत एडवोकेट जी , श्री न्यादर पुरी जी, श्री बाबूराम जी आदि ने मिलकर एक ट्रस्ट के माध्यम से वर्ष 1956 में नेशनल जूनियर हाईस्कूल की स्थापना की जो विकास पथ पर निरन्तर आगे बढ़ते हुए आज नेशनल इण्टर कॉलेज, धनौरी के रूप में समूचे घाड़ क्षेत्र में सुप्रतिष्ठित और सुविख्यात है।
ट्रस्ट द्वारा शैक्षिक विकास की यह यात्रा इसके पश्चात् भी अनवरत जारी रही और क्षेत्र में उच्च शिक्षा का अभाव देखते हुए नेशनल इण्टर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य और प्रसिद्ध समाजसेवी स्व० डॉ० पृथ्वी सिंह विकसित जी (पूर्व मंत्री) की कड़ी मेहनत से धनौरी डिग्री कॉलेज की स्थापना की | अपने स्थापना वर्ष 2004 में महाविद्यालय के कला संकाय को 7 विषयों, हिन्दी, अंग्रेजी, समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, ड्राइंग एण्ड पेंटिंग (चित्रकला) और भूगोल के साथ विश्वविद्यालय से विधिवत् मान्यता मिली और अगले ही वर्ष 2005 में महाविद्यालय ने प्रगति करते हुए गणित वर्ग और जीव विज्ञान वर्ग से भी विधिवत् मान्यता प्राप्त कर ली।
सत्र 2020-2। में श्री देव सुमन विश्वविद्यालय, बादशाही थौल (टिहरी गढ़वाल) से एम०ए० (हिन्दी साहित्य, अंग्रेजी, समाजशात्त्र, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, ड्राइंग एवं पेन्टिंग तथा भूगोल) एम०एस-सी० (भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित, जन्तु विज्ञान एवं वनस्पति विज्ञान) विषयों में मान्यता प्राप्त कर ली गई।
डॉ० पृथ्वी सिंह विकसित जी द्वारा लगाये गये इस वटवृक्ष को वर्तमान में उनके सुपुत्र और हमारी प्रबंध समिति के माननीय सचिव श्री आदेश कुमार सैनी जी द्वारा निरंतर अथक प्रयासों से और विस्तारित किया जा रहा है। उनके प्रयासों से यह महाविद्यालय शासनादेश के तहत स्वपोषित महाविद्यालय से अशासकीय महाविद्यालय के रूप में प्रोन्नत हो गया है ।महाविद्यालय की यह प्रगति इस क्षेत्र के लिए गौरव की बात है।